ये निर्मल ह्रदय की पीड़ा हैं
ये फ़ुऱ्कत प्रेम के आँसू हैं
ये निश्छल प्रेम धरोहर हैं
ये नीर तो द्रवित ह्रदय के हैं
ये आदिल ह्रदय चढ़ावा हैं
ये होम तो करुण ह्रदय की है
ये शुष्क ह्रदय आहुति नहीं
*आदिल= न्यायपूर्ण, सच्चा, नेक, निष्कपट
*फ़ुऱ्कत= जुदाई, अनुपस्थिती(प्रेम में), विरह
*होम=आहुति
Wednesday, November 01, 2006
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ये कोमल मन की गाथा है
ReplyDeleteवाह क्या बात है
- दरबारी लाल