Wednesday, January 28, 2009

दशानन...


कैसे राम ने जीता रावण
कैसे राम बने जगदीश
शीश एक क्यूँ जीत ना पाया
दस सिर लेकर भी दसशीश
निश्छल मन और निर्मल ह्रदय
जहाँ राम की ढाल बने
मलिन ह्रदय और कपट वहीं पर
दशानन का काल बने
बुद्धी-कौशल और राजनीति का
जहाँ रावण ने अभिमान किया
भेज अनुज को उसे सीखने
राम ने उसको मान दिया
हर बुराई तुम यहाँ देख लो
दस सिर लेकर आती है
पर धर्मवीर रघुवीर के आगे
वह नहीं टिक पाती है

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