Sunday, August 26, 2007

मेरी रागिनी मनभावनी...

मेरी रागिनी मनभावनी
मेरी कामिनी गजगामिनी
जीवन के पतझड़ में मेरे
तू है बनी मेरी सावनी

शब्द सब खामोश थे
बेरंग थी मन भावना
संगीतमय जीवन बना
जो तू बनी मेरी रागिनी

आँखों को जो अच्छा लगे
सुंदर कहे दुनियाँ उसे
सिर्फ़ सुंदर तुम्हें कैसे कहूँ
जो तू तो है मनमोहिनी

तू है कहीं कोई डगर
मैं जानता हूँ ये मगर
शामें वहाँ खुशहाल हैं
और है तिमिर में रोशनी

जीवन की है यह दोपहर
अभी दूर है अपनी सहर
मंजिल का वो मेरा यकीं
तेरा साथ है मेरी संगिनी

मेरी रागिनी मनभावनी
मेरी कामिनी गजगामिनी


*सहर=सुबह
**तिमिर=अंधेरा

Saturday, August 18, 2007

शेर और भैंस...

रोज-रोज की मारामारी से तंग आकर
भैंसों ने सोचा चलो शेरों से संधि की जाये
शेरों की जरूरत को ध्यान में रखते हुये
तय हुआ कि रोज दो भैंसें शेरों को सौंप दी जायेगीं
जानकर शेरों का चेहरा खिल गया
सोचने लगे चलो बैठे-बैठे खाने को मिल गया
उधर भैंसों के झुंड भी निश्चिंत हो जंगल में चरने लगे
डर को अपने जीवन से हमेशा के लिये हरने लगे
पर यह शांति कुछ दिनों की मेहमान थी
अपने स्वभाव के अनुसार

शेरों ने भैंसों पर फ़िर हमला कर दिया
कोई और रास्ता ना होता देख
भैंसों ने तय किया कि अब 

शेरों से संधि नहीं
एकजुटता के साथ मुकाबला किया जायेगा
धीरे-धीरे फ़िजा़ बदली

अब भैंसें मरने की बजाय शहीद होने लगीं
उनके बच्चों की आँखों में डर के बजाय वीरता दिखने लगी
शेरों की क्या कहें

आजकल वो भी झुंड में चल रहें हैं
शेर तो कम कुछ-कुछ
भैंसों से दिख रहें हैं

Monday, August 13, 2007

पति-पत्नी...

पति-पत्नी
साथ रहते रहते
कुछ-कुछ एकसा
दिखने लगते हैं
बहुत कुछ एकसा

सोचने लगते हैं
आजकल यह सोचकर
वो जरा डर रहें हैं
इसलिये चेहरे पर कम
विचारों पर अधिक
ध्यान दे रहें हैं