आज फ़िर सवालों के समक्ष मैं मौन हूँ
सोचता हूँ कहाँ से शुरू करूँ की मैं कौन हूँ
दिल्ली की सड़कों पर चलता
निरंतर काम की तलाश करता
पहले बसने और फ़िर बसाने की चाह लिये
औसत दर्जे का एक युवा अभियंता हूँ
उच्च वर्ग को सबकुछ अपना
कमाया हुआ लगता है
निम्न वर्ग के पास देने के लिये
कुछ नहीं बचता है
मैं मध्य वर्ग का प्रतिनिधि हूँ
यहाँ जद्दोज़हद और हताशा के
बीच वैचारिक संघर्ष भी है
मैं गरीबी को जानता हूँ
और एश्वर्य को मानता हूँ
मुझमे नेतृत्व की प्रबल संभावना है
मध्य वर्ग की अभिलाषाओं और
विरोधाभासों के बीच देश छूटा
आज मैं भारत का वासी हूँ किंतु प्रवासी हूँ
जगह बदल जाने से इंसान नहीं बदलते
एक रिक्शे वाले और बेरोज़गार से
स्वयं को अलग नहीं पाता हूँ
राष्ट्र के प्रति समर्पण और प्रेम
दूरियों से कहाँ रुकता है
आज भी देश मेरे अंदर धड़कता है
Friday, January 12, 2007
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रितेशजी,
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना है आपकी, पढ़कर दर्द हुआ।
इसी प्रकार लिखते रहें।
"पढ़कर दर्द हुआ।"
ReplyDeleteकविराज 'डायक्लोविन प्लस' ले लेना, ठीक हो जाएगा। :)
कविता सचमुच अच्छी थी।
कविराज और पंडित जी,
ReplyDeleteआपकी दोनों की टिप्पणी का बहुत शुक्रिया ।
कृपया ऎसा ही स्नेय बनाये रखें ।
रीतेश गुप्ता
bahut khoob.
ReplyDeletejab ek padha-likha rickshaw chalaaneki himmat kar paayega,
dono ki duniya asaan bana jaayega.
bahut hI Acha lagaa
ReplyDeleteरितेश जी,
ReplyDeleteआपकी कविता मार्मिक है...देश की याद आती है न ! काफी दिनो बाद ऐसी सपाट कविता पढ्ने को मिली.
आपका
गिरीन्द्र नाथ झा
www.anubhaw.blogspot.com
रीतेश गुप्त जी, अच्छा लिखा है! ऐसे ही लिखते रहें।
ReplyDeleteहिमांशु भाई, बुआ जी, झा जी एवं me जी,
ReplyDeleteआप सभी की टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद
रीतेश गुप्ता
"मैं मध्य वर्ग का प्रतिनिधि हूँ
ReplyDeleteयहाँ जद्दोज़हद और हताशा के
बीच वैचारिक संघर्ष भी है"
मध्य वर्ग और देश प्रेम तथा संघर्ष की सीधी और सरल अभिव्यक्ति है ।
सीमा जी,
ReplyDeleteआप हमारे ब्लाग पर आयीं और आपको कविता अच्छी लगी ...बहुत धन्यवाद ॥
रीतेश गुप्ता
यह पंक्तियाँ विशेषरूप से पसंद आईं-
ReplyDeleteआज मैं भारत का वासी हूँ किंतु प्रवासी हूँ
जगह बदल जाने से इंसान नहीं बदलते
एक रिक्शे वाले और बेरोज़गार से
स्वयं को अलग नहीं पाता हूँ
कभी वक्त हो तो http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2007/05/blog-post_3919.html
ReplyDeleteपर राय दे
sundar or aache bhav sepuran achi kavita hai
ReplyDelete2yFIta Your blog is great. Articles is interesting!
ReplyDeletewTptiK Wonderful blog.
ReplyDeleteFCfc5t Wonderful blog.
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ReplyDeleteThanks to author.
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