छींक मार मारकर हर नस हमारी हिल गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई
कह रहें हैं मित्र
और दिल खोलकर बधाई भी दे रहें हैं मित्र
ये रोग बड़े लोगों के तुझको कैसे हो गये
छोड़कर हमें अब तुम शामिल बड़ों में हो गये
कुछ यूँ हमारी गिनती यारों बड़ों में हो गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
जब हमने यह जाना तो सिर अपना धुन लिया
हमको एलर्जी क्योंकि अब फ़ूलों से हो गई
दुनियाँ दिवानी जिसकी उससे ही दूरी हो गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
है दवा जरूरी पर दुआ भी चाहिये
अपनों के सहारे हालत जरा संभल गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई
कह रहें हैं मित्र
और दिल खोलकर बधाई भी दे रहें हैं मित्र
ये रोग बड़े लोगों के तुझको कैसे हो गये
छोड़कर हमें अब तुम शामिल बड़ों में हो गये
कुछ यूँ हमारी गिनती यारों बड़ों में हो गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
जब हमने यह जाना तो सिर अपना धुन लिया
हमको एलर्जी क्योंकि अब फ़ूलों से हो गई
दुनियाँ दिवानी जिसकी उससे ही दूरी हो गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
है दवा जरूरी पर दुआ भी चाहिये
अपनों के सहारे हालत जरा संभल गई
क्या बतायें यारों हमको एलर्जी हो गई..
बड़े लोगों में शामिल होने में बधाई!
ReplyDeleteरितेश भाई इतने बडे़ हो गये तो लोग बुजुर्ग कहना शुरु कर देगें। संभालिए अपने-आप को ।
ReplyDeleteफ़ूलो से बच कर ही रहें तो अच्छा! :)
सुनीता(शानू)
हमारी दूआएं आपके साथ है, दवा के पैसे अपनी जेब से खर्चें :)
ReplyDeleteबड़े लोगो में शामिल होने की बधाई :)
आशा है आपको अपने बगीया के फूलो से तो एलर्जी नहीं हुई होगी।
ReplyDeleteआप उन्हीं पर अपनी नज़रे इनायत करे...........दुसरे की बगीया के फूलो को नज़र अंदाज़ करे।
हा हा हा हा.....ठीक हो जाएगी आपकी एलर्जी।
बहुत बधाई. फूलों से एलर्जी, वाह!! अब तो अमेरीकन कहलाये. :) ईश्वर आपकी छींक सतत सलामत रखे. :)
ReplyDeleteवाह ! अच्छा लिखा है । दुआएँ तो हमारी आपके साथ हैं । आशा है एलर्जी असली फूलों से ही हुई होगी सो नकली से काम चलाइये ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आप सभी ने कविता पढ़ी ....आपकी टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteएलर्जी के कुचक्र से निकलना है मुश्किल मेरे भाई,
ReplyDeleteकिसी ने योग, आयुर्वेद आजमाकर इससे मुक्ति पाई,
वरना डॉक्टरों के पास नहीं कोइ इसकी दवाई ।
क्या बात है रितेश भाई…एलर्जी भी तो फूलो से हुई मगर चलिए भावनाएँ तो सलामत हैं… अच्छा लिखा है…।
ReplyDeleteयह ऐलर्जी और बढे इस से पहले किसी अच्छे फ़ूल वाली डाक्टर साहिवा से मिलिये .. हा हा
ReplyDeleteHappy Birthday !
ReplyDeleteghughutibasuti
American culture ke saath saath American rog bhi hum hindustani gale lagaate hain!!!
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