आजकल हर छोटी बड़ी बात पर
हो जाता है संघर्ष
बह जाता है खून
पहले की तरह
अब कम ही निकलता है
बातचीत और शान्ति से
समस्याओं का समाधान
आज फ़िर दुर्योधन ठुकरा रहें हैं
कृष्ण का शान्ति संदेश
और बना रहें हैं बंदी
इंसानियत और प्रेम को
धृतराष्ट्र का मन
आज भी यही कह रहा है
मन का बुरा नहीं है
मेरा दुर्योधन
प्रतिभावान दानवीर कर्ण भी
दे रहें हैं अधर्म का साथ
और पितामह निभा रहें हैं
अपनी अंधी निष्ठा
सब मिलकर फ़िर
बना रहें हैं
एक और युद्ध की पृष्ठभूमि
जिसमे मारे जायेगें
कर्ण और दुर्योधन
नहीं बच सकेंगें पितामह
और समय से पहले ही
मारा जायेगा वीर अभिमन्यु
Tuesday, July 31, 2007
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बहुत समय बाद लौटे.सब ठीक ठाक तो है? अब लगातार जारी रहो.
ReplyDeleteबधाई !
ReplyDelete“आरंभ”
सशक्त अभिव्यक्ति. सरल और सहज भाषा प्रवाह . मन को छू लेने वाली रचना.
ReplyDeleteVY95Km Your blog is great. Articles is interesting!
ReplyDeleteapJs20 Wonderful blog.
ReplyDeleteThanks to author.
ReplyDeleteNice Article.
ReplyDeleteactually, that's brilliant. Thank you. I'm going to pass that on to a couple of people.
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