राम मेरा भाई तेरे राम से
इतना यार झगड़ता क्यों है
मेरे राम मुझे तारेंगें
तारें तुझे तेरे रघुवीर
सहज-सरल सी बात है लेकिन
तू फ़िर भी नहीं समझता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....
राग-द्वेष अपने अंतर् में
कहाँ राम को भाते हैं
मन को करते दुखी
देह को रोग नया दे जाते हैं
इन्हें हराकर राम को अपने
तू प्रसन्न नहीं करता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....
धर्म-अधर्म और सत्य-असत्य का
युद्ध यहाँ कोई नया नहीं
दिया कृष्ण ने अर्जुन को वह
ज्ञान अभी तक मरा नहीं
निर्भय बन इन संघर्षों से
तू फ़िर इतना डरता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....
इतना यार झगड़ता क्यों है
मेरे राम मुझे तारेंगें
तारें तुझे तेरे रघुवीर
सहज-सरल सी बात है लेकिन
तू फ़िर भी नहीं समझता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....
राग-द्वेष अपने अंतर् में
कहाँ राम को भाते हैं
मन को करते दुखी
देह को रोग नया दे जाते हैं
इन्हें हराकर राम को अपने
तू प्रसन्न नहीं करता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....
धर्म-अधर्म और सत्य-असत्य का
युद्ध यहाँ कोई नया नहीं
दिया कृष्ण ने अर्जुन को वह
ज्ञान अभी तक मरा नहीं
निर्भय बन इन संघर्षों से
तू फ़िर इतना डरता क्यूँ है
राम मेरा भाई तेरे राम से....