tag:blogger.com,1999:blog-33732511.post2807913420158738350..comments2023-06-27T10:59:02.970-04:00Comments on भावनायें...: एक अच्छी कविता की नींव...Reetesh Guptahttp://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-33732511.post-35249200264988999302007-09-18T06:06:00.000-04:002007-09-18T06:06:00.000-04:00आपकी कविता बहुत महत्वपूर्ण है। आप बहुत सुंदर लिखत...आपकी कविता बहुत महत्वपूर्ण है। आप बहुत सुंदर लिखते हैं,बस यही आशा है कि यह रचनात्मकता और निखरे...।रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33732511.post-35206817532460502172007-09-17T08:18:00.000-04:002007-09-17T08:18:00.000-04:00बड़ों से आशीर्वाद और प्रेरणा पाकर आपने भी बढ़िया र...बड़ों से आशीर्वाद और प्रेरणा पाकर आपने भी बढ़िया रचना दी. <BR/>शुभकामना है कि आने वाले दिनों में यह रचनात्मकता और निखरेगी। <BR/>मुझे बेहतरीन कविताएँ पढ़ने मिलेंगी भाई.नीरज दीवानhttps://www.blogger.com/profile/14728892885258578957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33732511.post-54292889915099020712007-09-15T05:49:00.000-04:002007-09-15T05:49:00.000-04:00बहुत सही कहा है आपने "हर तरफ़ भीड़ थी फ़िर भीमन बिलकु...बहुत सही कहा है आपने "हर तरफ़ भीड़ थी फ़िर भी<BR/>मन बिलकुल अकेला हो गया"।<BR/>यही आज के समाज का सच है। और ऐसे अकेलेपन में कवि के लिए कविता ही एक सहारा होती है।<BR/>मन को छू लेने वाली एक कविता के लिए बधाई स्वीकारें।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33732511.post-58262951841889340192007-09-15T03:58:00.000-04:002007-09-15T03:58:00.000-04:00समीर भाई…आपने बहुत छोटा बना दिया मुझे आप तो एक आदर...समीर भाई…<BR/>आपने बहुत छोटा बना दिया मुझे आप तो एक आदर्श हैं जिससे मात्र सिखना ही नहीं होता गुनना भी हो जाता है…।<BR/>रितेश भाई…<BR/>इतनी महत्ता ???<BR/>चलिए मेरी कविता का अंश अगर आपको कुछ देर भी रोक सका है जटिलताओं से तो एक लेखक की मेहनत सफल हुई…<BR/>अगली कविता आपकी कहर ही होगी ऐसा मानता हूँ…। लिखते तो आप बहुत सुंदर हैं पहले से ही हैं।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33732511.post-84979345160127877222007-09-14T20:35:00.000-04:002007-09-14T20:35:00.000-04:00भाई मेरे, मेरा सौभाग्य जो तुम उड़न तश्तरी में बैठकर...भाई मेरे, मेरा सौभाग्य जो तुम उड़न तश्तरी में बैठकर अकेलापन भुला पाते हो. बस सफल हो गई उड़न तश्तरी की हर उड़ान. प्रियंकर जी, अनूप शुक्ल जी, दिव्याभ भाई और राकेश भाई जैसे बड़ों से प्रेरित होना स्वभाविक है मगर उनके बीच अपना नाम पा मैं अनुग्रहित हूँ. गौरवांवित हूँ. यह सब तो मेरे गुरुवर हैं जिनसे मैं हर रोज सिखता हूँ. <BR/><BR/>बस यही आशा है कि तुम यूँ ही स्नेह बनाये रखो.<BR/><BR/>अब जब नींव तैयार है तो रच डालो इसी दौर में कुछ यादगार कवितायें. हम इन्तजार कर रहे हैं पढ़ने को.<BR/><BR/>शुभकामनायें और पुनः आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com